सामान्य परिवार में जन्मे हुये श्री अब्दुल सत्तार साहब की यात्रा – स्कूल दिनों से मंत्री बनने तक.
अब्दुल सत्तार, अब्दुल नबी उनका पूरा नाम है. इनका जन्म १ जनवरी १९६५, छोटे से गांव में हुआ. वो एक छोटेसे व गरीब परिवार से है. उनका शिक्षण बी.ए. में हुआ. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।
उनके पितजीने मज़दूरी करके उनको और परिवार को संभाला। अब्दुल सत्तार भी अपने स्कूल के दिनों में बहार काम करके अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. इस बीच, एक छोटी सी साइकिल की दुकान का कारोबार अपने बड़े भाई अब्दुल गफ्फार के साथ संयुक्त रूप से शुरू कर दिया। इस समय से उनकी आर्थिक जीवन में सुधार होता रहा।
अब्दुल सत्तार ये चार भाई है और वे चार लड़कों में तीसरे हैं. नाम में ही सत्ता – र – कि क्या जवाब है? मतदान करने की उम्र होते ही सत्ता उनके पास आने लगी।
मा. अब्दुल सत्तार, की प्राथमिक शिक्षा जिला परिषद की प्राथमिक स्कूल और माध्यमिक शिक्षा जिला परिषद सिल्लोड़ यहां हूई। नई हाई स्कूल सिल्लोड में उन्होंने माध्यमिक शिक्षा पूरी की। हायर सेकेंडरी और विश्वविद्यालय शिक्षा यशवंतराव चव्हाण कॉलेज सिल्लोड में पूरी की। मा. अब्दुल सत्तार को राजनीति और नेतृत्व करने की रूचि स्कूल और कॉलेज जीवन से ही है। पाठशाला में मॉनिटर के लिए और कॉलेज में प्रतिनिधि (सी.आर.) के चुनाव जीता। इसी दौरान १९८४ में, सिल्लोड की ग्रामपंचायत चुनाव लड़के जीत हासिल की।
बचपन से गेंद शूटिंग, कबड्डी, खो-खो, क्रिकेट इस संघीय खेलो के आलावा गेंद फेकना, लंबी कूद, ऊंची कूद, इत्यादि खेल में व्यक्तिगत रुचि है। खेल के कारन उनमे राजनीति और नेतृत्व के गुण निर्माण हुए। उनको माजी मंत्री कै.बाबूरावजी काळे, सहकार महर्षी कै. बाळासाहेब पवार, शिक्षा व सहकार महर्षी कै.माणिकरावजी पालोदकर के साथ शिक्षा और राजनीतिक सहयोगमें साथ काम करने का और उनको राजनीति को जानने का अवसर मिला है.
इन नेताओकेसाथ काम करके मा. अब्दुल सत्तार ने बहोत सी राजनीती की बातें सीखकर अपने राजनीतिक गतिविधियों और नेतृत्व के गुण अपने कामो में विकसित करने के लिए प्रयोग किये हैं।
१ जनवरी, १९९० को सिल्लोड ग्राम पंचायत नगरपरिषद में परिवर्तित हो गया. नगरपरिषद में प्रशाशक होनेसे उन्होंने प्रशासकों से लोगों की कामे करवा ली। मा. अब्दुल सत्तार के पीछे कोई राजनीतिक विरासत नहीं होने के बावजुद लगातार अपनी राजनीति में सफलता करके सबको प्रभावित किया। जब तक सफलता मिलती नहीं तब तक पीछे नहीं हटाना और रुकना नहीं। उनके घरसे कोई भी राजनीति पंचायत समिति का सदस्य नहीं था। लेकिन अपने काम की शैली, स्वयं के स्वाभाव से परिवार, कार्यकर्ताओं, समर्थकों को जमा किया।
पहला चुनाव १९९४ सिल्लोड नगरपरिषद में था. इन चुनावों के पहले कांग्रेस पार्टी राज्यमें संघर्ष कर रहे थी। कांग्रेस पार्टी के 27 सदस्यों में से सिर्फ ५ सदस्य जीते थे। उसमे भी अब्दुल सत्तर के साथ और तीन लोग नगरपरिषद के अध्यक्ष पद के लिए जोर लगा रहे थे।अब्दुल सत्तार के पास निर्णय लेनेकी क्षमता होने के कारन अपने विरोधियों से कैसे निपटना ये भलीभांति जानते थे।
नगरपरिषद के अध्यक्ष पद के लिए दुसरे उमीदवार अशोक सूर्यवंशी इनको साथ में लेकर और कांग्रेस पार्टी के तीनो लोगो के साथ, और भारतीय कम्युनिस्ट पक्ष, जनता दल और अपक्ष नगरसेवक इन सभी को अपनी तरफ आकर्षित कर के पहली बार नगरपरिषद अध्यक्ष पद के लिए आगे आने का मौका मिला। मतदान के समय भाजपा – शिवसेना गठबंधन के उमीदवार उमेश कुलकर्णी और अब्दुल सत्तार को सामान वोट मिले थे। दोनों के बीच में चिठ्ठी के आधार पे फैसला लिया गया और अब्दुल सत्तार पहले नगराध्यक्ष बने। ९ अगस्त १९९६ को, शिवसेना – भाजपा ने अविश्वास दिखाया और अब्दुल सत्तार को नगराध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा। लेकिन अपने आत्मविश्वास के बलबुतेपे पर उन्होंने नगराध्यक्ष पद प्राप्त कर लिया।
१९९९ साल में अब्दुल सत्तार ने कांग्रेस पार्टी में अपना वर्चस्व जमाते हुए नगरपरिषद के चुनाव में अपने समर्थकों को उम्मीदवारी दिलाई। और पार्टी ने अच्छी तरह सिल्लोड शहर में यश प्राप्त किया। इसी वक़्त से कांग्रेस पार्टी ने अपना ही एक मक़ाम बनाया। हालांकि, नगरपरिषद पद उनको छोड़ना पड़ा, पर अगले ही साल फिरसे नगरधक्ष्या पद पावस लिया।पिछले २० साल में से ढाई तीन साल छोड़ दिए तो अब्दुल सत्तार और उनकी पत्नी श्रीमती नफ़ीसाबेगम अब्दुल सत्तार इनोन्हे नगरपरिषद की सत्ता संभाली है। अब भी नगर परिषद में २९ सदस्य में से २५ सदस्य कांग्रेस है।
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा सोसायटी और प्रगति शिक्षण संस्था की मदद से निर्वाचन क्षेत्र भर में शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया.
इतनाही प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की स्थापना भी करवाई। इसके साथ मराठी माध्यम पे भी ज्यादा जोर दिया।
इसके अलावा, उर्दू, शिक्षित और योग्य परिवार के सदस्यों के लिए आसपास के क्षेत्र में व्यवस्थित मराठी माध्यम के स्कूल शिक्षक (डी. एड.) कार्यरत हैं।
अब्दुल सत्तार इन्होंने जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, विभिन्न समितियों में हज समिति, रोजगार गारंटी योजना के एक सदस्य आप काम में मदद करने के लिए पंचायती राज आदि सरकार समितियोंके साथ मिलकर किसानों, खेतिहर मजदूरों और व्यापारियों के विभिन्न क्षेत्रों पर काम करने के लिए कहा.
१९९९ में, कांग्रेस पार्टी को सिल्लोड़ विधानसभा उमीदारी कि मांग की. जनता साथ होने के बावजूद कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारी नहीं दी। कार्यकर्ताओं की जोर देने पर अपक्ष उमीदवार के तौर पे सिल्लोड़ विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लढा और दूसरे स्थान पर मुकाबले में वोट प्राप्त किया।
इस चुनाव में कांग्रेस पक्ष के उम्मीदवार चौथे स्थान पे थे। फिर इसी बीच कांग्रेस पार्टी के नेता कै.शंकररावजी चव्हाण ने अब्दुल सत्तार की योग्यता समजली। तभी कांग्रेस पार्टी जिल्हाध्यक्ष भाऊसाहेब ठोम्बरे काका और पूर्व सांसद रामकृष्णबाबा पाटिल की पहल पर तत्कालीन मुख्यमंत्री कै. विलासराव देशमुख इनके उपस्थितिमें कै.शंकररावजी चव्हाण इनके हस्ते अब्दुल सत्तार को कांग्रेस पक्ष में लिया गया।
कै.शंकररावजी चव्हाण ने २००१ में अब्दुल सत्तार को विधान परिषद उम्मीदवारी भी दिलाई। और इसका फायदा उठाते हुए विधान परिषद संसद बन गए।
अब्दुल सत्तार ने जिल्हा स्तरीय और सिल्लोड़ तहसील औरंगाबाद जिलों पर निर्वाचित परिषद के सदस्यों को चुनौती देते हुए और अच्छे कार्यकर्ताओ की मदत से पार्टी को मजबूत करने का जिम्मा उठाया। भाजपा शिवसेना गठबंधन की नगर परिषदों में सभी नगर परिषदों खुलताबाद, वैजापूर, पैठण, गंगापूर, कन्नड, जालना, भोकरदन, परतूर वापस स्थानिक पार्टी में लाये।
विधान परिषद के सदस्य के रूप में सिल्लोड़ विधानसभा में धन भारी मात्रा में लाया और कार्य योजना के विकास किये।
अब्दुल सत्तार जबसे कांग्रेस पार्टी में आये तभी से कांग्रेस के लगभग सभी नगरपरिषद में कांग्रेस का वर्चस्व है।
पार्टी में होने के बावजूद सिल्लोड़ – सोयगाव तालुका में सूखे की स्थिति के खिलाफ स्वंपक्षीय रूप से सरकार के खिलाफ खड़े रहे और आम जनता के संकट के सभी लोगों के सवालों के लिए आंदोलन किया। किसानों, कृषि युवा हाथ का काम है, और काम की कीमत लेने के लिए उन्होंने ऐतिहासिक मोर्चा निकाला, और समय समय पर, लोगों को काम करने के लिए जाने के लिए मदद करते रहे।
पार्टी ने अब्दुल सत्तार के काम करने के तरीकेको देखते हुए २००४ सिल्लोड़ विधानसभा क्षेत्र की उमेदवारी दी. कई विपक्षी पार्टी के उम्मीदवारों और पार्टी के समर्थन के खिलाफ खड़े होने से 301 वोट से हार गए। हौसला पस्त नहीं होने दिया और फिर से कार्य शुरू रखा। अब्दुल सत्तार फिर २००७ में विधानसभा क्षेत्र की उमेदवारी दी लेकिन दुर्भाग्य से वे विधान परिषद चुनावों में मित्र पार्टी (राष्ट्रवादी कांग्रेस) के उम्मीदवार मैदानमे आके धोका देने का काम किया।
२००९ में, उनको फिर विधानसभा क्षेत्र की उमेदवारी दी, इस बार क्षेत्र के उम्मीदवार प्रभाकरराव पलोदकर साथ मिलकर चुनाव ३०००० मतों से जीत लिया। कुछ साल (१९९६ से २००८) से दूर रहे प्रभाकरराव पलोदकर के साथ मिलकर राज्य का विकास करना शुरू किया। और मतदाताओं के लिए बड़े पैमाने पर विकास योजनाओं को कार्यरत किया। सैन्य भाजपा के १५ साल की अवधि में जो काम नहीं हुए थे, वे सभी काम पुरे किये गए।
माजी मुख्यमंत्री अशोकरावजी चव्हाण इन्होने अब्दुल सत्तार को राज्यमंत्री का पद संभालने का मौका दिया।
सिल्लोड़ सोयगाव विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के १६८ गांवों में विभिन्न विकास योजना लागू किये गए। सैकड़ों किलोमीटर रस्ते बनाते समय सड़कों सुधार, सुदृढीकरण, पक्की सड़कों और सीमेंट उत्पादन किये।
पाणिका स्तर बढ़ानेकेलिये सिंचन क्षेत्रमें निल्लोड,चारनेर, पेंडगाव, जळकी (वसई) इन मध्यम परियोजना शेकडो सिमेंट बांध, माती बांध, शेततळे, वनतळे और पाझर तलाव के काम किए।
लगभग चार साल दूर रहनेके बावजूद विकास की गतिविधियां कम नहीं होने दी।
सिर्फ एक महीने पहले, मुख्यमंत्री पृथ्वीराजजी चव्हाण ने अपने मंत्रिमंडल में अब्दुल सत्तार को कैबिनेट मंत्री पद ( पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग ) का भार कंधो पे दिया।
शहर में विकास करते वक़्त पानी की भीषण कमी के चलते अब्दुल सत्तार ने अपने तरकीप से खेलना डैम बांधों में अधीक्षण खोदा और पानी की समस्या से सफलता पायी।
इस काम को निखारने और अब्दुल सत्तार की सराहना करने के लिए राज्य मंत्री के साथ कई सदस्य ने खेलना डैम को भेट दी।
शहर में सभी सड़कों, पुलों, गटर, इत्त्यादि की सुधारना की। इसके अलावा सामाजिक मंगल गृह, कार्यालय, महिला अस्पताल की स्थापना शुरू कर दी।